Principal Message

विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥

प्राचीन काल से ही गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली सर्वोत्तम शिक्षा प्रणाली है, जिसमें वैदिक संस्कृति के उच्च आदर्शो पर चलकर उत्कृष्ट मानव निर्माण संभव है। हर प्रकार से समृद्धि व समुन्नत जीवन निर्माण करना "आर्य कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय, मोर माजरा" का परम उद्देश्य है। बालिकाओं को सुशिक्षित, संस्कारी ,पराक्रमी ,संयमी तथा सबल बनाना हमारा ध्येय है। गुरुकुल शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ सभी छात्राओं में ईमानदारी ,विनम्रता, दया ,बड़ों के प्रति सम्मान की भावना को विकसित करने पर भी बल देता है।

गुरुकुल- पद्धति में वैदिक- संस्कृति के साथ-साथ अत्याधुनिक शिक्षण पद्धति के द्वारा छात्राओं का सर्वांगीण विकास किया जाता है । गुरुकुल में छात्राएं अनुशासित जीवन में रहकर पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद, सांस्कृतिक ,गतिविधियों एवं जीवन के हर क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं ।वास्तव में इस परंपरा का सानिध्य दिग्भ्रमित का दिग्दर्शक है , मूल्यहीन जीवन को अमूल्य बनाने वाला है। इस परंपरा से उन्मुख होने का मतलब है सभी ओर से सभी का अध:पतन राष्ट्र की वास्तविक उन्नति कन्याओं को जीवनोपयोगी सुशिक्षा से संस्कारित  करने से ही संभव है। हमारे वेदादिशास्त्रों में स्त्री को ब्रह्मा की उपाधि से अलंकृत किया गया है-

"स्त्री ही ब्रह्मा बभूविथ"

विद्याध्ययन के द्वारा नारियां देश के समूचे विकास में नींव के पत्थर सिद्ध हो, इसी मंत्र को साथ लेकर चलने वाला संस्थान "आर्य कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय" नारी हर क्षेत्र में अपनी विजय पताका लहराने में समर्थ हो सके, इसी विश्वास के साथ आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ….

प्राचार्या

डॉ शकुंतला नांदल

आर्य कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय मोरमाजरा, करनाल