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आर्य कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय
"कन्यानां कल्याणार्थं सर्वतोभावेन समर्पित:" इन्हीं विचारों के साथ संस्था की स्थापना दिनांक 05.01.1973 को श्री सुरजीत सिंह जी मान की अध्यक्षता में माता जानकी देवी (करनाल) के कर कमलों द्वारा की गई, इस इलाके में बालिकाओं की शिक्षा का कोई भी प्रबन्ध नहीं था। अतः निर्धन किसानों की ग्रामीण बेटियाँ कम खर्च में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें तथा उनका चहुँमुखी विकास हो। इन सब पर भली-भाँति विचार करके ही संस्था की स्थापना की गयी। आर्य कन्या गुरुकुल मोर माजरा, असन्ध वाया गोली राज मार्ग पर स्थित पवित्र-सुन्दर- प्राकृतिक गाँव मोर माजरा से दो किलोमीटर पूर्व में मुख्य सड़क पर स्थित है।
दृष्टिकोण एवं उद्देश्य:
गुरुकुल वैदिक सिद्धान्तों और भारतीय संस्कृति का जीवन्त अवतार है | गुरुकुल आश्रमों में अनादिकाल से ही करोड़ों विद्यार्थी विद्या अध्ययन करते रहे हैं। गुरुकुलों के इतिहास में की भारत की शिक्षा व्यवस्था का और ज्ञान विज्ञान की रक्षा का इतिहास समाहित है |भारतीय संस्कृति के विकास में चार पुरुषार्थों, चार वर्णों तथा चार आश्रमों की मान्यताएँ तो अपने उद्देश्यों की सिद्धि के लिए अन्योन्याश्रित है| गुरुकुल भी उनकी सफलता में बहुत बड़े साधक है।
College Facilities
ॐ असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मामृतं गमय ।।
गुरुकुल शिक्षा आधुनिक युग में उस अनुपम निधि के समान है, जिसकी ज्योति से परिवार, समाज, राष्ट्र व विश्व चमत्कृत होता है। संस्कारों में अनुशासन की भट्ठी में छात्राएँ कुंदन की तरह तैयार होकर समाज व्यवस्था में अपने दिव्य गुणों और स्वाभिमान की नींव रखती हैं। गुरूकुल शिक्षा पद्धति को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए जिन पुण्य आत्माओं ने अथक प्रयास किए हैं और समर्पित भावना व कठिन परिश्रम से दिन-रात एक करके अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में मोर माजरा गुरुकुल को जो पहचान दिलाई है, उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। मैं हृदय की गहराईयों से उन सभी पवित्र आत्माओं को नमन करता हूँ । उन सभी के सफल प्रयासों के परिणाम स्वरूप गुरुकुल ने अनेक उपलब्धियों को हासिल किया हैं।
गुरुकुल शिक्षा पद्धति का उद्देश्य छात्राओं का ऐसा सर्वांगीण विकास करना है, जिससे वे तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो सकें। गुरुकुल मोर माजरा में प्रत्येक छात्रा को सुरक्षित व प्रेरणादायक शिक्षा का वातावरण प्रदान किया जाता है। गत वर्षों में गुरुकुल ने शैक्षिक, सांस्कृतिक, खेलकूद तथा प्रत्येक क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति की है और नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए सम्पूर्ण भारतवर्ष में अपना सम्मानजनक स्थान बनाया है।
प्रधान
जसबीर सिंह मान,एडवोकेट
महासभा आर्य कन्या गुरुकुल मोरमाजरा, करनाल
विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
प्राचीन काल से ही गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली सर्वोत्तम शिक्षा प्रणाली है, जिसमें वैदिक संस्कृति के उच्च आदर्शो पर चलकर उत्कृष्ट मानव निर्माण संभव है। हर प्रकार से समृद्धि व समुन्नत जीवन निर्माण करना "आर्य कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय, मोर माजरा" का परम उद्देश्य है। बालिकाओं को सुशिक्षित, संस्कारी ,पराक्रमी ,संयमी तथा सबल बनाना हमारा ध्येय है। गुरुकुल शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ सभी छात्राओं में ईमानदारी ,विनम्रता, दया ,बड़ों के प्रति सम्मान की भावना को विकसित करने पर भी बल देता है।
गुरुकुल- पद्धति में वैदिक- संस्कृति के साथ-साथ अत्याधुनिक शिक्षण पद्धति के द्वारा छात्राओं का सर्वांगीण विकास किया जाता है । गुरुकुल में छात्राएं अनुशासित जीवन में रहकर पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद, सांस्कृतिक ,गतिविधियों एवं जीवन के हर क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं ।वास्तव में इस परंपरा का सानिध्य दिग्भ्रमित का दिग्दर्शक है , मूल्यहीन जीवन को अमूल्य बनाने वाला है। इस परंपरा से उन्मुख होने का मतलब है सभी ओर से सभी का अध:पतन राष्ट्र की वास्तविक उन्नति कन्याओं को जीवनोपयोगी सुशिक्षा से संस्कारित करने से ही संभव है। हमारे वेदादिशास्त्रों में स्त्री को ब्रह्मा की उपाधि से अलंकृत किया गया है-
प्राचार्या
डॉ शकुंतला नांदल
आर्य कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय मोरमाजरा, करनाल